The 5-Second Trick For मध्यकालीन भारत का इतिहास

पाषाण युग से तात्पर्य ऐसे काल से है जब लोग पत्थरों पर आश्रित थे। पत्थर के औज़ार, पत्थर की गुफा ही उनके जीवन के प्रमुख आधार थे। यह मानव सभ्यता के आरंभिक काल में से है जब मानव आज की तरह विकसित नहीं था। इस काल में मानव प्राकृतिक आपदाओं से जूझता रहता था और शिकार तथा कन्द-मूल फल खाकर अपना जीवन बसर करता click here था। पुरापाषाण युग[संपादित करें]

ब्राह्मणावाद की सुरक्षा का दायित्व दाहिर के पुत्र जयसिंह के ऊपर था। उसने कासिम के आक्रमण का बहादुरी के साथ सामना किया, किन्तु नगर के लोगों के विश्वासघात के कारण वह पराजित हो गया। ब्राह्मणावाद पर कासिम का अधिकार हो गया। कासिम ने यहाँ का कोष तथा दाहिर की दूसरी विधवा रानी लाडी के साथ उसकी दो पुत्रियों सूर्यदेवी तथा परमल देवी को अपनी क़ब्ज़े में कर लिया। आलोर विजय

आलोर पर विजय प्राप्त करने के बाद कासिम मुल्तान पहुँचा। यहाँ पर आन्तरिक कलह के कारण विश्वासघातियों ने कासिम की सहायता की। उन्होंने नगर के जलस्रोत की जानकारी अरबों को दे दी, जहाँ से दुर्ग निवासियों को जल की आपूर्ति की जाती थी। इससे दुर्ग के सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। कासिम का नगर पर अधिकार हो गया। इस नगर से मीर क़ासिम को इतना धन मिला की, उसने इसे 'स्वर्णनगर' नाम दिया। मुहम्मद बिन कासिम की वापसी

सुबुक्तगीन एवं महमूद गजनी के संबंध में उत्बी रचित किताब-उल-यामिनी से जानकारी मिलती है।

यह हिन्दुशाही राज्य के दक्षिण में स्थित था। यहाँ का शासक करमाथी शिया मुसलमानों के हाथ में था। महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण के समय यहां का शासक फ़तेह दाऊद था। सिंध

वस्तुनिष्ठ सामान्य ज्ञान प्राचीन भारतीय इतिहास

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दिमाग खाकर जान ले लेता है यह अमीबा, इस तरह के पानी में पाया जाता है

सतीश चन्द्र मित्तल, आधुनिक भारत, मक्खन लाल, प्राचीन भारत, मीनाक्षी जैन, मध्यकालीन भारत, एन.सी.ई.आर.टी., राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् , समकालीन भारत, समकालीन विश्व इतिहास, बृज मोहन पांडे, जे. पी. सिंह, संजय दुबे, नीरजा रश्मि, एम.

पढ़ें इतिहास के प्रमुख व्यक्ति और उनके काम: इस अध्याय में भारत और विश्व इतिहास के प्रमुख व्यक्तियों के नाम और उनके मुख्य कार्यो के बारे में जानकारी दी गयी है।

रज़िया सुल्तान-भारत की प्रथम महिला शासिका

भारत और विश्व इतिहास में हुई प्रमुख ऐतिहासिक संधियां

अरबों के आक्रमण के समय से ही सिंध पर उनका अधिपत्य था। मजमूद ग़ज़नवी के आक्रमण के समय सिन्ध प्रान्त में अरबों का शासन था। कश्मीर का लोहार वंश

धूल भरी आँधी का आना -उपरोक्त कारणों के अलावा अचानक से मौसम का शुष्क होना और बार बार धूल भरी आँधी के आने से भी लोग दूसरे स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हुए.

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